बगावत का पहला निशान

वो इस अदा से हर गलत को यूँ जायज ठहराते,
लेकिन पुराने गलत से नए गलत कैसे शरीफ होते !

मैंने गलत किया, हो सकता है मैं पागल हूँ,
मेरी बराबरी करनी थी तो पहले आप भी पागल होते !

मैंने पहले गलत किया, अब प्रश्न का अधिकार नहीं,
यदि ऐसा होता तो दुनिया में सवाल नहीं होते !

हाँ, पता है कि हमें नहीं आता लिखना,
सब यही मान कर रह जाते तो किताबखाने नहीं होते !

बेहतर होता आप तो कम-स-कम जायज करके जाते,
दिखाते की सही रह कर भी कैसे काम होते !

दो शब्द सुनने के लिए इतनी मशक्क्त करनी पड़ी,
ये ही नहीं हुआ आपसे, हमारे आशिक़ तो क्या ही होते !

कभी लगता है कि आपका मकसद कुछ और भी है,
यदि ये बात पता होती तो हम आपके दीवाने ना होते !

हमने तो प्यार किया था आपसे वजीर ए आज़म,
नहीं पता था कि यही बगावत के पहले निशान होते !

#NoConfidenceMotion

#ShakenConfidence

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