इशारों इशारों में…

शादी के तुरंत बाद,
तुम इतनी दूर हो कि मैं,
जब चाहूं तब देख नहीं सकता,
जब चाहूं तब सुन नहीं सकता,
जब चाहूं तब बात नहीं कर सकता,
लेकिन फिर भी,
जब चाहूं तुम्हें आस पास,
महसूस कर सकता हूं।

कैसे?

है कुछ जुगाड तो बैठा लिए है मैंने!

जैसे?

जैसे कि मैंने कमरे के दरवाजे की पीछे,
अब भी तुम्हारे कुछ कपड़े लटका रखे हैं,
हर थोड़े दिन बाद,
उनको धोने में डाल कर,
दूसरे कपड़े लटका देता हूं।

जैसे कि मैंने घर में जगह जगह,
तुम्हारे बालों में बंधने वाले,
रबड़, क्लचर रख छोड़े हैं,
और समय समय पर उनको,
समेटता और फैलाता रहता हूं।

और भी कुछ कुछ,
जैसे कि तुम्हारी कुछ चूड़ियां,
नल पर टांग रखी है;
तुम्हारे जूते घर के बाहर रखे रहते हैं;
तुम्हारे कुछ कपड़े सूखते रहते हैं;
तुम्हारे लगाए पौधों में,
अब फूल आने लगे हैं;
तुम्हारे कपड़ों से भरी अलमीरा,
कुछ थोड़े दिनों में बिखरती रहती है;
रसोई में तुम्हारे तरीके से,
पास्ता बना लेता हूं;
तुम्हारी चेहरे के क्रीम पाउडर अभी भी,
आईने के सामने ही रहते हैं;
तुम्हारे दिए शंख से भगवान के सामने,
शंखनाद कर देता हूं;
तुम्हारी स्कूटी से तुम्हारे शहर में,
(जो अब मेरा भी हो चुका है)
घूम लेता हूं;
तुम्हारी फोटो घर के –
बरामदे में लगा दी है,
सोफे पर एक तरफ बैठ कर,
टीवी पर कुछ कुछ देख लेता हूं।

बस लगभग यही सब,
इन सब से मैं तुम्हें महसूस कर लेता हूं,
जब चाहूं तब।

अच्छा! मेरी टक्कर का
इश्क करते हो मतलब;
अच्छा लगा सुन कर!
लेकिन तुम ये सब जताया,
नहीं कभी फोन पर?
तुम तो मेरी भेजी आइसक्रीम भी,
घंटो बाद खाते हो :p

कुछ देर शांत रहने के बाद,
मैं एक पुराना गीत,
YouTube पर चला देता हूं,
जो एक हवाईजहाज कंपनी के,
विज्ञापन के बाद शुरू होता है:
“मुहब्बत जो करते हैं वो,
मुहब्बत जताते नहीं,
धड़कने अपने दिल की कभी,
किसी को सुनाते नहीं,
मज़ा क्या रहा जबकी खुद कर दिया हो,
मुहब्बत का इज़हार अपनी ज़ुबां से”

इशारों इशारों में…

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