तुम्हारा शाश्वत हो जाना

लिखना तो चाहता हूँ एक कविता
तुम पर आज फिर,
जो तुम्हे मेरे शब्दों में
हमेशा के लिए साथ रखे,
जो समय के चक्र में बिना फंसे
शाश्वत हो जाये;
जो तुम्हें मेरे शब्दों में अमर कर दे।

तुम्हारा शाश्वत हो जाना
Yours – Becoming Timeless

कई कोशिशे भी की मैंने,
कभी तुम पर,
कभी अपने मिलने पर
कभी तुम्हारी नूरी चेहरे पर,
कभी अपने बिछड़ने पर,
कभी अपने रिश्ते पर।

पर मैं इनमे से कुछ भी
शत प्रतिशत बयाँ नहीं कर पाया,
जानती हो क्यों?
क्योकि जैसे समय को नहीं बांध सकते,
तुमसे मिलने पर होने वाली ख़ुशी को
कैसे शब्दों में बाँध सकता हूँ,
तुम्हारी सुंदरता को कैसे पन्ने पर उकेर सकता हूँ।
तुमसे दूर जाने पर होने वाले अकेलेपन की भरपाई,
भला मैं कलम से कैसे कर सकता हूँ।

शायद इसीलिए अब तक ऐसी शाश्वत रचना नहीं बन पायी है,
जिसे लोग रोमियो और जूलिएट की तरह याद करे।

लेकिन जानती हो..?
मुझे उस बात का जरा भी अफ़सोस नहीं है,
क्योकि ये जो तुम्हारा साथ था न
और ये जो तुम हो,
दुनिया में कहाँ अभी तक,
किसी को उस रूप में मिले है,
जैसे मुझे मिले हैं;
और किसी को क्या ही मिलेंगे,
जैसे मुझे मिले हैं।

वो नादानी, लड़कपन और समझदारी का सफर,
कक्षा में कांच की खिड़की से
तुम्हें देख पाने की ख़ुशी,
ऑफिस की इमारत से
कुर्ते में
निकलते हुए देख पाने का पल,
जो मैंने ही देखा है,
वो तुम्हारा जीभ निकालना,
मुस्कराना, बहस करना,
तुम्हें करीब से निहार पाना,
सहलाना और इतने क्षण,
जो मैंने देखे हैं, महसूस किये है,
किसी और ने कहाँ महसूस किये हैं,
किसी और को कहाँ इतनी ख़ुशी होगी,
जितनी मुझे हुई थी।

दुनिया याद रखे न रखे,
कविता समय से ऊपर उठे या न उठे,
वो सब अब कोई मायने नहीं रखता।

तुम, तुम्हारी यादें
और तुम्हारे साथ बिताया समय
मेरे मन में शाश्वत है।

2 thoughts on “तुम्हारा शाश्वत हो जाना

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